Home ये होंट तिरे रेशम ऐसे खुलते हैं शगूफ़े कम ऐसे : सरवत हुसैन byShayari wala -May 19, 2021 0 ये होंट तिरे रेशम ऐसेखुलते हैं शगूफ़े कम ऐसेये बाग़ चराग़ सी तन्हाईये साथ गुल ओ शबनम ऐसेमिरी धूप में आने से पहलेकभी देखे थे मौसम ऐसेकिस फ़स्ल में कब यकजा होंगेसामान हुए हैं बहम ऐसेसीने में आग जहन्नम सीऔर झोंके बाग़-ए-इरम ऐसेसरवत हुसैन Facebook Twitter